मुंशी प्रेमचंद बायोग्राफी इन हिंदी , Munshi Premchand Biography In Hindi ! मुंशी प्रेमचंद बायोग्राफी Munshi Premchand Biography
Munshi Premchand Biography In Hindi ! मुंशी प्रेमचंद बायोग्राफी इन हिंदी – मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) का असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था ! वह भारतीय लेखक थे , जो अपने साहित्य के लिए हिंदी भाषा में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थे ! मुंशी प्रेमचंद हिंदी तथा उर्दू की कथाओं के बड़े लेखक माने जाते हैं ! वह 1880 के दशक में समाज में प्रचलित जाति पदानुक्रम और महिलाओं मजदूरों इत्यादि के बारे लिखते थे ! भारतीय उपमहाद्वीप में वह सबसे प्रसिद्ध लेखक के रूप में जाने जाते हैं ! उनकी प्रमुख रचनाओं में गोदान , कर्म भूमि , भवन , मानसरोवर , ईदगाह इत्यादि शामिल है !

मुंशी प्रेमचंद बायोग्राफी इन हिंदी , Munshi Premchand Biography In Hindi ! मुंशी प्रेमचंद बायोग्राफी Munshi Premchand Biography
प्रेमचंद – Introduction Of Premchand
नाम | मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) |
वास्तविक नाम | धनपत राय श्रीवास्तव |
जन्म | 31 जुलाई 1880, लमही, बनारस (भारत) |
माता | आनंदी देवी |
पिता | अजायब राय |
भाई | नहीं |
बहिन | सुग्गी |
पत्नी | शिवारानी देवी |
पुत्र | अमृतराय |
कहानियाँ | पंच परमेश्वर, ईदगाह, गुप्त दान, दो बैलों की कथा, बड़े घर की बेटी व अन्य |
उपन्यास | रंगभूमि, सेवासदन, गब्बन, गोदान, कर्मभूमि व अन्य |
योगदान | शिक्षाप्रद कहानियां और उपन्यासों की रचना |
प्रसिद्धि | उपन्यासकार, कहानीकार |
मृत्यु | 8 अक्टूबर 1936, बनारस (भारत) |
उम्र | 56 वर्ष |
- उन्होंने कलम नाम नवाब राय के तहत लिखना शुरू किया था ! जो बाद में तब्दील होकर मुंशी प्रेमचंद बन गया ! वह एक महान उपन्यास लेखक कहानीकार और नाटककार के रूप में जाने जाते हैं !उनकी एक दर्जन से भी अधिक उपन्यास और लगभग 300 से अधिक लघु गत कथाएं तथा निबंध कई विदेशी साहित्यिक कृतियों का हिंदी अनुवाद में शामिल है !
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- मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के पास एक छोटे से गांव लमही में हुआ था ! उनके पूर्वज कायस्थ परिवार से आते थे ! जिनके पास काफी भूमि थी , उनके दादा गुरु सहाय राय एक पटवारी का काम किया करते थे तथा उनके पिताजी एक डाकघर में क्लर्क थे ! उनकी मां का नाम आनंदी देवी था !
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- मुंशी प्रेमचंद अपने माता-पिता के चौथे संतान थे ! उनके चाचा महावीर एक अमीर जमींदार थे ! 7 वर्ष की आयु में मुंशी प्रेमचंद ने लमाही के पास स्थित लालपुर के मदरसे से अपनी शिक्षा की शुरुआत की ! उन्होंने मदरसे में एक मौलवी से उर्दू और फारसी का ज्ञान प्राप्त किया ! जब वह 8 वर्ष के थे , उस दौरान लंबी बीमारी के चलते उनकी मां का देहांत हो गया ! उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी उनकी दादी पर आ गयी ! मगर दादी की भी जल्द मृत्यु होने के कारण उनके लालन पोषण में काफी दिक्कत होने लगी !वह खुद को अलग-थलग महसूस करने लगे ! उनके पिताजी हमेशा काम में ही व्यस्त रहते थे , उस दौरान उनकी पोस्टिंग गोरखपुर में थी और उनके पिता ने पुनर्विवाह भी कर लिया !
- एक बच्चे के रूप में मुंशी मुंशी प्रेमचंद की कथा साहित्य के क्षेत्र में एक अपना स्थान रखती है ! उनका किताबों में गजब की दिलचस्पी थी ! उन्होंने एक दुकान पर फारसी भाषा के महाकाव्य “तिलिस्मे होशरूबा” की कहानियां सुनी ! उन्होंने शुरुआत के दिनों में किताब बेचने का भी काम किया , जिनसे उन्हें ढेर सारी किताबें पढ़ने का भी मौका मिल जाता था ! उन्होंने एक स्कूल में अंग्रेजी भी सीखी ! उन्होंने गोरखपुर में अपनी पहली साहित्यिक रचना की जो प्रकाशित तो नहीं हुई ! वहीं 1890 के दशक में मुंशी प्रेमचंद के पिता “जमानिया” में तैनात हो गए ! प्रेमचंद भी बनारस के क्वींस कॉलेज में एक दिवसीय विद्वान के रूप में दाखिला लिया ! 15 वर्ष की आयु में उनका विवाह कर दिया गया , ये साल 1895 का था ! जब उनका विवाह कर दिया गया , उस समय वह नौवीं कक्षा में पढ़ रहे थे ! लड़की अमीर जमींदार परिवार से थी और मुंशी प्रेमचंद से बड़ी थी !
- उसके कुछ समय बाद ही , उनके पिता का भी निधन हो गया ! औऱ , मुंशी प्रेमचंद मैट्रिक की परीक्षा में सेकंड डिवीजन से पास हुए !औऱ वो क्वीन कॉलेज में दाखिला लेना चाहते थे मगर , क्वींस कॉलेज में केवल प्रथम श्रेणी के छात्रों को शुल्क में रियायत दी जाती थी !फिर , उन्होंने सेंट्रल हिंदू कॉलेज में प्रवेश के लिए गये ! लेकिन वहां भी उनको दाखिला नहीं मिल पाया ! जिन दिनों मुंशी प्रेमचंद को कहीं दाखिला नहीं मिल रहा था , उन दिनों वे बहुत सारी क़िताब पढ़ा करते थे ! 1899 में उन्हें ₹5 मासिक पर एक छात्र को पढ़ाने का मौका मिला !
- मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) ने सबसे पहले “नवादा राय” नाम के तहत लेख लिखना प्रारंभ किया ! उनका पहला उपन्यास असरार एवं आबिद था ! असरार , जो मंदिर के पुजारियों के बीच भ्रष्टाचार और गरीब महिलाओं का यौन शोषण की पड़ताल के लिए था ! उपन्यास को 1903 से 1905 तक बनारस स्थित उर्दू साप्ताहिक में प्रकाशित किया गया ! 1909 में मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) को महोबा में स्थानांतरित कर दिया गया ! वहां वे हमीरपुर के स्कूलों में भी पढ़ाने लगे ! इस समय आसपास “सोजे वतन” पर ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों का ध्यान गया !जिन्होंने प्रेमचंद को देशद्रोही कार्य में संलग्न होने के लिए प्रतिबंधित कर दिया ! फिर , मुंशी प्रेमचंद ने हिंदी में लेख लिखना प्रारंभ किया ! इस समय से पहले वे , बस उर्दू में ही लिखा करते थे ! उनकी पहली हिंदी कहानी 1915 में प्रकाशित हुई ! उनका पहला लघु कहानी संग्रह शब्द “सरोज” था जो 1917 में प्रकाशित हुई ! मुंशी प्रेमचंद बाद में इलाहाबाद में बसना चाहते थे जहां उनके बेटे श्रीपद राय और अमृत कुमार राय पढ़ रहे थे ! उन्होंने वहां से अपनी पुस्तकों को प्रकाशित करने की योजना बनाई ! हालांकि , वित्तीय स्थिति और खराब स्वास्थ्य के कारण बनारस जाना पड़ा !
- मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) को 1936 में प्रगतिशील लेखक संघ का अध्यक्ष मनाया गया ! कई दिनों की बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1936 को प्रेमचंद का निधन हो गया ! उनकी पुस्तक गोदान 1936 में सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के रूप में स्वीकार किया गया ! इससे बेहतरीन हिंदी उपन्यासों में से एक माना जाता है !गोदान एक बेहतरीन और संतुलित उपन्यास है , जो साहित्यिक मान्यताओं द्वारा निर्धारित आवश्यकताओं को पूरा करता है !रवींद्र नाथ टैगोर कहते थे , मुंशी प्रेमचंद को भारत के बाहर इतना नहीं सरहाया गया जबकि वह विश्व के सबसे बड़े लेखकों के रूप में गिने जाने चाहिए थे ! 1936 में प्रेमचंद ने कफन को प्रकाशित किया , जिसमें एक गरीब व्यक्ति अपनी मृत पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए पैसे इकट्ठा करता है ! लेकिन खाने पीने का आदी होने के कारण इस खाने-पीने में खर्च कर देता है !

- मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) की अंतिम प्रकाशित कहानी क्रिकेट मैच थी जो उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित की गई ! मुंशी प्रेमचंद को पहला हिंदी लेखक का तमगा दिया जाता है ! जिनके लेखन में वास्तविकता को प्रमुखता से दर्शाया जाता था उनके उपन्यास गरीबों और शहरी मध्यम वर्ग पर आधारित होती थी ! उनकी रचनाएं एक तर्क वादी दृष्टिकोण को दर्शाती थी तथा धार्मिक मूल्यों को भी एक रूप में देखा करते थे ! उन्होंने राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों को भी पूर्व जोर से उठाया , उन्होंने भ्रष्टाचार , बाल विवाह , विधवा की शादी , वेश्यावृत्ति , सामंती व्यवस्था , गरीबी इत्यादि विषयों पर भी अपना विचार रखा ! जब प्रेमचंद 1900 के दशक में कानपुर में रहते थे और बाद में उन्होंने राजनीतिक मामलों में भी रुचि लेना प्रारंभ कर दिया था ! उन्होंने शुरुआती कार्यों में परिलक्षित कर देश भक्ति के स्वर को जगाया ! उनका राजनीतिक विचार काफी उदारवादी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता गोपाल कृष्ण गोखले से काफी प्रभावित थे ! बाद में वह चरमपंथी नेता बाल गंगाधर तिलक के साथ चले गए , उनकी कई रचनाएं जैसे कि – लिटिल ट्रीट , मोरल फ्री ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग करने वाले भारतीयों पर व्यंग्य था !
- 1920 महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी ! इस दौरान मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) भी महात्मा गांधी से काफी प्रभावित हुए थे ! इसी दौरान मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) की कई पुस्तक प्रकाशित हुई जैसे कि गरीबी और जमीनदारी शोषण के लिए प्रेमाश्रम जो 1922 में प्रकाशित हुई ! दहेज प्रथा के लिए “निर्मला” शैक्षिक सुधार और राजनीतिक उत्पीड़न के लिए “कर्मभूमि” इत्यादि विषयों पर मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) ने अपनी रचना प्रकाशित की ! भारतीय साहित्य पर प्रेमचंद के प्रभाव को कम बिल्कुल नहीं आंका जा सकता है ! दिवंगत विद्वान “डेविड रूबीन” ने “द वर्ल्ड ऑफ प्रेमचंद” नामक पुस्तक की रचना की थी ! यह पुस्तक 1969 में प्रकाशित हुई ! प्रेमचंद को लघु कथा को रोचक बनाने का एक अलग ही गौरव प्राप्त था ! वे हिंदी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में निपुण थे !

- अंतिम दिनों में उन्होंने नाटक के मंच को ग्रामीण जीवन पर केंद्रित किया ! जैसा कि उनका उपन्यास गोदान और कफन ग्रामीण जीवन पर आधारित है ! मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) का मानना था कि स्तरीय गुणवत्ता कोमलता और भावनाओं के विपरीत सामाजिक यथार्थवादी साहित्य प्रदान हो ! प्रेमचंद के स्मरण में 31 जुलाई 1980 भारतीय डाक द्वारा डाक टिकट जारी किया गया !
- गूगल ने भी 31 जुलाई 2016 को प्रेमचंद के 136 में जन्मदिन के उपलक्ष्य में गूगल पर एक डूडल दिखाया ! मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) ने 300 से भी अधिक लघु कथाएं और 14 उपन्यास कई निबंध नाटक पत्र इत्यादि लिखे हैं ! प्रेमचंद की मृत्यु के बाद कई भाषाओं में उनके लेखन का अनुवाद किया गया ! सेवा सदन जो 1938 एक फिल्म है जिसे एम.एस सुब्बूलक्ष्मी के साथ बनाया गया ! फिल्म – प्रेमचंद का उपन्यास सेवासदन यानी हाउस ऑफ सर्विस के ऊपर था ! उपन्यास की भूमिका सुमन नाम की एक सुंदर बुद्धिमान और प्रतिभाशाली लड़की का किरदार था ! जो उच्च जाति से थी उसकी शादी बहुत बड़े घमंडी तथा अत्याचारी आदमी से की गई थी !
- मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) का उपन्यास “गबन” का एक फिल्म संस्करण 1966 में जारी किया गया ! इस फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका में सुनील दत्त , साधना , कन्हैया लाल , ने अभिनय किया था ! संगीत की जोड़ी शंकर-जयकिशन के हाथों में थी ! इसके अलावा एक और फ़िल्म हीरा-मोती , कृष्ण चोपड़ा ने इस फिल्म को निर्देशित किया था ! 1970 में सत्यजीत रे ने मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) की लघु कहानी “शतरंज के खिलाड़ी” पर आधारित फिल्म बनाई !फिल्म नवाबी लखनऊ के पतन के इर्द-गिर्द घूमती थी , जहां एक खेल के प्रति जुनून खिलाड़ियों को खा जाता था ! भारतीय फिल्म निर्देशन के बाजीगर कहे जाने वाले सत्येंद्र बोस ने प्रेमचंद की प्रेम में “पंच परमेश्वर” नामक फिल्म बनाई ! एक और फिल्म “बाजार ए हुस्न” 2014 में भारतीय हिंदी भाषा की फिल्म प्रेमचंद के उपन्यास पर ही आधारित थी ! मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) के कार्यों पर आधारित तीन टेलीविजन श्रृंखलाएं दूरदर्शन पर प्रसारित की गई ! जिसमें मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) की गुलदस्ता तथा मुंशी प्रेमचंद की कहानी तहरीर मुंशी प्रेमचंद इत्यादि शामिल थे ! दूरदर्शन ने मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) की लघु कहानी पर भी काफी चीज़ें प्रसारित की , जिनमें सेवा सदन और बाजार ए हुस्न पर आधारित थी !
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