Swami vivekanand Biography In Hindi ! स्वामी विवेकानंद बायोग्राफी इन हिंदी
Swami vivekanand Biography In Hindi ! स्वामी विवेकानंद बायोग्राफी इन हिंदी – स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को एक भारतीय हिंदू परिवार में हुआ था !वह 19वीं सदी के संत राम कृष्ण के शिष्य थे ! स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था ! कोलकाता के एक बड़े कायस्थ परिवार में जन्मे स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) का झुकाव शुरू से ही आध्यात्मिक की दुनिया में था ! वह अपने गुरु राम कृष्ण जी से काफी प्रभावित है ! उन्होंने सभी जीवित देवी प्राणी भगवान का अवतार कहा , इसलिए उन्होंने कहा कि मानव जाति की सेवा करके ही भगवान की सेवा की जा सकती है ! स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) के गुरु रामकृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानंद बड़े पैमाने पर अलग-अलग देशों का दौरा किया !

बिंदु | जानकारी |
नाम | स्वामी विवेकानंद |
बचपन नाम | नरेन्द्र दास दत्त |
पिता | विश्वनाथ दत्त |
माता | भुवनेश्वरी देवी |
जन्म | 12 जनवरी 1863 |
जन्म स्थान | कलकत्ता |
पेशा | आध्यात्मिक गुरु |
प्रसिद्दी | संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार |
गुरु का नाम | रामकृष्ण परमहंस |
मृत्यु | 4 जुलाई 1902 |
मृत्यु स्थान | बेलूर मठ, बंगाल |

- उन्होंने 1893 में विश्व धर्म संसद में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया ! स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) ने अमेरिका की यात्रा के अलावा इंग्लैंड और यूरोप के अन्य देशों में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार किया ! भारत में विवेकानंद को एक देशभक्त संत के रूप में जाना जाता है ! हम उनके जन्मदिन पर राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते हैं ! वेदांत और योग के भारतीय दर्शन को पूरे विश्व में फैलाने का श्रेय स्वामी विवेकानंद को ही जाता है ! 19वीं शताब्दी में हिंदू धर्म को प्रमुख विश्व धर्म की स्थिति में लाने में उनका श्रेय अभूतपूर्व है ! वह भारत की समकालीन हिंदू सुधार आंदोलन के प्रमुख लोगों में से एक थे ! उन्होंने राष्ट्रवाद की अवधारणा में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया ! स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) ने राम कृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की , मग़र वो अपने शिकागो में दिए गए भाषण के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय जाते हैं !
- जहां उन्होंने अमेरिका की बहनों और भाइयों शब्दों का उपयोग कर सबका दिल जीत लिया ! उन्होंने 1893 में शिकागो में स्थित धर्म संसद में हिंदू धर्म का विश्व से परिचय इस तरह करवाया !

- स्वाम विवेकानंद का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ था तथा उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था ! तथा उनके पिताजी का नाम विश्वनाथ दत्त था , जो कोलकाता उच्च न्यायालय में एक वकील थे ! दुर्गाचरण दत्त , नरेंद्र नाथ यानी विवेकानंद के दादा थे ! वे एक संस्कृत और फारसी के विद्वान थे , उन्होंने अपना परिवार छोड़ दिया और 25 साल की उम्र में ही भिक्षुक बन गए थे !
- स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) की माता भुवनेश्वरी देवी एक गृहणी थी ! नरेंद्र नाथ को छोटी सी उम्र से ही अध्यात्मिकता में दिलचस्पी होने लगी थी ! उन्होंने श्रीराम , सीता , महावीर , हनुमान जैसे देवी देवताओं की छवियों अपना ध्यान लगाते थे ! वह भटकते तपस्वी और भिक्षुओं पर भी अपने प्यार की वर्षा करते थे ! नरेंद्र बचपन में नटखट और बेचैन रहते थे , उनके माता-पिता को अक्सर उन्हें नियंत्रित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था ! उनकी माता ने एक बार कहा था कि मैंने शिवजी से प्रार्थना में पुत्र मांगा था मगर उन्होंने अपना राक्षस भेज दिया..hahah ! आजकल की भी मातायें अक्सर इस शब्द का प्रयोग करती हैं !

- 1871 में स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) की आयु 8 साल थी ! यहां उन्होंने ईश्वर चंद्र विद्यासागर के इंस्टिट्यूशन में दाखिला लिया ! जहां 1870 में , वह परिवार के रायपुर चल जाने दे तक , पढ़ाई की ! वह प्रेसिडेंसी कॉलेज कोलकाता में प्रथम श्रेणी (first division) अंक प्राप्त करने वाले एकमात्र छात्र थे ! उन्होंने दर्शन शास्त्र , इतिहास , धर्म कला और साहित्य इत्यादि भाषाओं में निपुणता हासिल की थी ! इसके अलावा विवेकानंद वेद , उपनिषद , भगवत गीता , रामायण , महाभारत इत्यादि हिंदू शास्त्रों में भी रुचि रखते थे ! स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) शास्त्रीय संगीत के प्रेमी थे ! वह नियमित रूप से खेल की गतिविधियों में भी भाग लेते रहते थे ! 1881 में उन्होंने ललित कला की परीक्षा को पास किया और 1884 में इसी कला से स्नातक की डिग्री मुकम्मल की !स्वामी विवेकानंद ने डेविड ह्यूम , मैन्युअल कैंट , जोहान कोटली , अगस्त काम्टे , इत्यादि के कार्यों का अध्ययन किया ! उन्होंने कई पुस्तक को बंगाली भाषा में भी अनुवाद किया ! स्वामी विवेकानंद वास्तव में एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे !
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- स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) अपनी विलक्षण स्मृति और गति पढ़ने की क्षमता के लिए जाने जाते थे ! उदाहरण के तौर पर कई लोगों का कहना है कि , उन्हें याद करने को दी गई काम बहुत जल्दी हो जाता था ! 1880 में नरेंद्र केशव सेन के “नव विधान” में शामिल हुए जिसे सहारे वे राम कृष्ण से मिलने का मौका मिला ! 1881 से 1884 तक “असाइनमेंट ऑफ” में वे सक्रिय थे , जहां युवाओं को धूम्रपान और शराब के सेवन से हतोत्साहित करने का प्रयास किया जाता था ! स्वामी विवेकानंद एक निराकार ईश्वर में विश्वास रखते थे ! जो मूर्ति पूजा का खंडन भी करता था ! वह एक सुव्यवस्थित तर्कसंगत एकेश्वरवाद धर्मशास्त्र जो उपनिषदों के चयनात्मक और आधुनिकता वादी चीजों पर विश्वास रखता है उसके पक्षधर थे !
- उन्होंने कोलकाता के कई निवासियों से पूछा कि वह ईश्वर के साथ आमने-सामने हुए हैं ? लेकिन उनके सवाल का किसी भी संतोषजनक उत्तर नहीं दिया ! जिससे उन्हें कोई संतुष्टि नहीं मिली ! इस समय विवेकानंद , देवेंद्र नाथ टैगोर सभी मिले ! और उनसे पूछा कि क्या आपने भगवान को देखा ? अपने प्रश्न के उत्तर के बजाय टैगोर ने कहा – उन्होंने , विवेकानंद के प्रश्न का उत्तर यह कह कर दिया कि – हां मैं वैसे ही देखता हूं जैसे तुम देखते हो !

- वे रामकृष्ण से मिलने के बाद , उनके विचारों से काफ़ी हद तक प्रभावित हुए ! फिर उन्होंने “ब्रह्म समाज” की स्थापना की ! 1881 में वह पहली बार रामकृष्ण जी से मिले जो 1884 में अपने पिता की मृत्यु के बाद आध्यात्मिक ध्यान में बंध गए थे !
- स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) जब रामकृष्ण जी से पहली बार मिले , तो ज़्यादा बात नहीं हो पाई , हालांकि से पहली मुलाकात नहीं माना जा सकता था ! इस समय स्वामी विवेकानंद भी अपनी आगामी ऐसे परीक्षा की तैयारी कर रहे थे ! जबकि रामचंद्र दत्ता औऱ सुरेंद्र नाथ मित्र उनको पहली बार रामकृष्ण के पास ले गए तो , राम कृष्ण ने युवा नरेंद्र को गाने को कहा ! उनकी गायन प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्होंने नरेंद्र को दक्षिणेश्वर आने को कहा ! बाद में नरेंद्र अपने दो दोस्तों के दक्षिणेश्वर गए ! जहां उन्होंने रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात की ! जो उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ , हालांकि शुरू में राम कृष्ण को अपने शिक्षक के रूप में स्वीकार करना मुश्किल था ! स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) ने , उनके विचारों का विद्रोह किया मगर उनके व्यक्तित्व से आकर्षित हुए ! उन्होंने शुरू में रामकृष्ण के परमानंद और दर्शन को केवल कल्पना का भ्रम के रूप में देखा ! यहां तक कि उन्होंने अद्वैत वेदांत की पूर्ण के साथ पहचान को , ईशनिंदा और पागलपन के रूप में खारिज किया ! नरेंद्र ने रामकृष्ण का परीक्षण किया जिन्होंने उन्हें तर्कों का धैर्यपूर्वक सामना तथा उन्होंने सत्य को सभी कोणों से देखने का प्रयास किया !
- स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) के पिता की मृत्यु ने परिवार को दिवालिया कर दिया ! रिश्तेदारों ने उनके परिवारों के कुछ पुश्तैनी घर से बेदखल करने की धमकी दी ! कभी एक संपन्न परिवार के बेटे स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) अपने कॉलेज के सबसे गरीब छात्रों में से एक बन गए ! उन्होंने काम खोजने की भी कोशिश की ! इसलिए उन्होंने भगवान के अस्तित्व पर सवाल उठाए ! लेकिन रामकृष्ण के साथ उन्होंने एकांत पाया ! दक्षिणेश्वर की यात्रा उनके लिए वृद्धि साबित हुई ! रामकृष्ण की मृत्यु के बाद उनके भक्त और प्रशंसकों ने विवेकानंद का समर्थन करना बंद कर दिया ! कई लोग परिवारिक जीवन शैली को अपनाते हुए घर लौट गए ! स्वामी विवेकानंद ने शेष शिष्यों के लिए बारानगर में एक मठ का निर्माण करवाया ! क्योंकि वे जहाँ निवास करते थे , वहां का किराया काफी कम था जिसे पवित्र भीख द्वारा उठाया जा सकता था ! बाद में , वहां रामकृष्ण मठ की पहली इमारत बन गया ! रामकृष्ण के मठवासी और अन्य प्रतिदिन कई घंटे ध्यान और धार्मिक तपस्या वहां करने लगे !
- 1888 में स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) ने मां को भी छोड़ दिया ! एक भटकते बिच्छू के समान बिना किसी निश्चित आवास बंधन के इधर-उधर भटकते रहे ! स्वामी विवेकानंद ने 31 मई 1893 को पश्चिम की यात्रा शुरू की , जिसमें जापान के कई शहर जैसे कि नागासाकी , याकोहम , टोक्यो का दौरा किया ! उन्होंने अमेरिका , चीन और कनाडा का भी दौरा किया ! जहां उन्होंने 1893 में धर्म संसद में भाग लिया ! जहाँ दुनिया के सभी धर्मों को इकट्ठा करने के लिए और सभी धर्मों की पर्याप्त एकता दिखाने के लिए संस्कारित परिवेश तथा बौद्धिक अभिव्यक्ति की आजादी दी गई ! वहाँ हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करने के लिए ब्रह्म समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी को आमंत्रित किया जा रहा था !
नरेंद्र नाथ दत्त से स्वामी विवेकानंद तक का सफर | स्वामी विवेकानंद किताब | Biography of Swami vivekanand
- मगर स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) इसमें शामिल होना चाहते थे ! लेकिन यह जानकर उन्हें निराशा हुई , कि एक प्रमाणिक संगठन से प्रमाण पत्र के बिना किसी को भी प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा ! स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) ने हावर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन हेनरी राइट से संपर्क किया ! जिन्होंने उन्हें बोलने के लिए आमंत्रित किया ! स्वामी विवेकानंद ने प्रोफेसर के बारे में लिखा , उन्होंने मेरा धर्म संसद में जाने की आवश्यकता का आग्रह को स्वीकार किया ! जहाँ जाने पर विवेकानंद ने अपने राष्ट्र और धर्म का परिचय दिया ! विश्व संसद 11 सितंबर 1893 को शिकागो में प्रारंभ हुई ! इस दिन विवेकानंद ने भारत और हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए संक्षिप्त भाषण दिया ! वह शुरू में घबराये हुए थे ! फ़िर उन्होंने सरस्वती को नमन किया और अमेरिका के बहनों और भाइयों के साथ अपने भाषण की शुरुआत की ! अचानक वहाँ जैसे चुप्पी बहाल हो गई ! फिर उन्होंने अपना संबोधन शुरू किया ! फिर उन्होंने , दुनिया में भिक्षु के सबसे प्राचीन आदेश , सन्यासियों का धर्म जिसमें दुनिया को अलग दृष्टि से दिखाया गया है ! स्वामी विवेकानंद (Swami vivekanand) का , बेलूर में गंगा तट पर एक चंदन की सत्यता में उनका अंतिम संस्कार किया गया !
Swami vivekanand Biography In Hindi ! स्वामी विवेकानंद बायोग्राफी इन हिंदी